आचार्य श्री बालकृष्ण
October 31,2019
तनाव या स्ट्रेस से हर व्यक्ति जूझता है। यह हमारे मन से संबंधित रोग होता है। हमारी मनस्थिति एवं बाहरी परिस्थिति के बीच असंतुलन एवं सामंजस्य न बनने के कारण तनाव उत्पन्न होता है। तनाव के कारण व्यक्ति में अनेक मनोविकार पैदा होते हैं। वह हमेशा अशांत एवं अस्थिर रहता है। तनाव एक द्वन्द की तरह है जो व्यक्ति के मन एवं भावनाओं में अस्थिरता पैदा करता है। तनाव से ग्रस्त व्यक्ति कभी भी किसी भी काम में एकाग्र नहीं हो पाता है, जिससे उसकी कार्यक्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। सामान्य दिनचर्या में थोड़ी मात्रा में तनाव होना परेशान होने की बात नहीं क्योंकि इतना तनाव सामान्य व्यक्तित्व के विकास के आवश्यक होता है परन्तु यह यदि हमारे भावनात्मक और शारीरिक जीवन का हिस्सा बन जाए तो खतरनाक साबित हो सकता है।
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डिप्रेशन क्या होता है? (What is Depression in Hindi)
थोड़ी मात्रा में तनाव या स्ट्रेस होना हमारे जीवन का एक हिस्सा होता है। यह कभी-कभी फायदेमंद भी होता है जैसे, किसी कार्य को करने के लिए हम स्वयं को हल्के दबाव में महसूस करते हैं जिससे कि हम अपने कार्य को अच्छी तरह से कर पाते हैं और कार्य करते वक्त उत्साह भी बना रहता है। परन्तु जब यह तनाव अधिक और अनियंत्रित हो जाता है तो यह हमारे मस्तिष्क और शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है और यह कब अवसाद (Depression) में बदल जाता है, व्यक्ति को पता नहीं चलता है। डिप्रेशन उस व्यक्ति को होता है जो हमेशा तनाव में रहता है। प्राय: व्यक्ति जिस चीज के प्रति डरता है या जिस स्थिति पर उसका नियंत्रण नहीं रहता वह तनाव महसूस करने लगता है, जिस कारण उसके ऊपर एक दबाव बनने लगता है। अगर व्यक्ति लम्बे समय तक इन परिस्थितियों में रहता है तो धीरे-धीरे वह तनावग्रस्त जीवन जीने की पद्धति का आदी हो जाता हो तब यदि उसे तनावग्रस्त स्थिति न मिले तो वह इस बात से भी तनाव महसूस करने लगता है। यह अवसाद होने की प्रारम्भिक स्थिति होती है।
डिप्रेशन क्यों होता है? (Causes of Depression)
डिप्रेशन होने के बहुत सारे कारण होते हैं, जिनका बारे में विस्तार से जान लेना ज़रूरी होता है। चलिये इसके बारे में चर्चा करते हैं-
-जीवन में कोई बड़ा परिवर्तन आना जैसे कोई दुर्घटना, जीवन में कोई बड़ा परिवर्तन या संघर्ष, किसी पारिवारिक सदस्य या प्रियजन को खो देना, आर्थिक समस्या होना या ऐसे ही किन्हीं गम्भीर बदलावों के कारण।
-हार्मोन में आए बदलाव के कारण जैसे- रजोनिवृत्ति (Menopause), प्रसव, थायरॉइड की समस्या आदि।
-कभी-कभी मौसम में परिवर्तन के कारण भी अवसाद हो जाता है। कई लोग सर्दियों में जब दिन छोटे होते हैं या धूप नहीं निकलती तो सुस्ती, थकान और रोजमर्रा के कार्यों में अरूचि महसूस करते हैं। परन्तु यह स्थिति सर्दियां खत्म होने पर ठीक हो जाती हैं।
-हमारे मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमिटर्स (Neurotransmitters) होते हैं जो विशेष रूप से सेरोटोनिन (Serotonin),डोपामाइन (Dopamine) या नोरेपाइनफिरिन (Norepinephrine) खुशी और आनंद की भावनाओं को प्रभावित करते हैं लेकिन अवसाद की स्थिति में यह असंतुलित हो सकते हैं। इनके असंतुलित होने से व्यक्ति में अवसाद हो सकता है परन्तु यह क्यों संतुलन से बाहर निकल जाते हैं इसका अभी तक पता नहीं चला है।
कुछ मामलों में अवसाद का कारण अनुवांशिकी भी हो सकता है। यदि परिवार में पहले से यह समस्या रही हो अगली पीढ़ी को यह होने की आशंका बढ़ जाती है परन्तु इसमें कौन-सा जीन शामिल होता है इसका अभी तक पता नहीं चल पाया है।
डिप्रेशन होने के दुष्प्रभाव (Side Effects of Depression)
अवसाद एक मानसिक स्वास्थ्य विकार होता है जो कुछ दिनों की समस्या न होकर एक लम्बी बीमारी होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अवसाद दुनिया भर में होने वाली सबसे सामान्य बीमारी होती है। विश्व में लगभग 350 मिलियन लोग अवसाद से प्रभावित होते हैं। अवसाद जैसी ही एक और समस्या हमारे जीवन में होती है। हमारे मूड का उतार-चढ़ाव जिन्हें मूड स्विंग्स कहा जाता है परन्तु यह अवसाद से अलग होता है। सभी लोग अपने सामान्य जीवन में मूड स्विंग्स का अनुभव करते हैं। यह कुछ लोगों में कम और कुछ में थोड़ा ज्यादा देखा जाता है परन्तु यह अवसाद की श्रेणी में नहीं आता। हमारे दैनिक जीवन के प्रति हमारी अस्थायी भावुक प्रतिक्रियाएं मूड स्विंग्स के अन्तर्गत आती है लेकिन यही अस्थायी भावुक प्रतिक्रियाएं या कोई दुख जब लम्बे समय तक किसी व्यक्ति में बरकरार रहे तो यह अवसाद में परिवर्तित हो सकता है। अवसाद के कारण व्यक्ति में वजन बढ़ना जैसी समस्या हो सकती है इसके थायरॉइड हार्मोन्स में आए असंतुलन के कारण व्यक्ति में थायरॉइड से संबंधित समस्याएं हो जाती हैं। अवसाद का लम्बे समय तक चलना एक गम्भीर समस्या है। अवसाद से ग्रस्त धीरे-धीरे समाज से कट जाते हैं एवं उनके दिमाग में आत्महत्या जैसे विचार आने लगते हैं। अवसाद के कारण व्यक्ति गम्भीर बीमारियों से भी घिर सकता है क्योंकि अवसाद में व्यक्ति के शरीर में गम्भीर हार्मोनल असंतुलन हो जाता है जिस कारण उसे भूख अधिक लगना या बिल्कुल न लगना, विभिन्न तरह के अस्वस्थ खाद्य पदार्थों के प्रति रूचि उत्पन्न होना, यह लक्षण दिखाई देते हैं। व्यक्ति का पाचन तंत्र भी खराब रहता है उसे कब्ज जैसी समस्या का भी सामना करना पड़ता है। इसके अलावा वजन बढ़ना अवसाद के रोगी की एक आम समस्या है। अवसाद से जुड़ी सबसे गम्भीर बीमारी साइकोटिक डिप्रेशन होता है। यह अवसाद के गम्भीर रूप से जुड़ी एक प्रकार की मनोविकृति है जो साइकोटिक डिप्रेशन के नाम से जाना जाता है। यह बहुत ही कम लोगों में तथा अवसाद की गम्भीर अवस्था में पाया जाता है। साइकोटिक डिप्रेशन में लोगों को खुद ही ऐसी आवाजें सुनाई देती है कि वह किसी काम के नहीं है या असफल हैं। रोगी को ऐसा लगता है कि वह खुद अपने विचारों को सुन सकता है। वह हमेशा अपने बारे में नकारात्मक विचार सुनता रहता है और वह व्यक्ति वैसे ही कार्य करने लगता है, वह बहुत जल्दी व्याकुल हो जाता है और आसान चीजें करने में भी बहुत वक्त लगाता है। उसे लगातार ऐसी चीजें सुनाई और दिखाई देती है जो असल में नहीं होती। इन रोगियों में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति ज्यादा होती है।
डिप्रेशन के लक्षण (Symptoms of Depression)
जैसा कि सभी जानते हैं कि डिप्रेशन में लोग हमेशा चिंताग्रस्त रहते हैं, इसके अलावा और भी लक्षण होते हैं-
-अवसाद से ग्रस्त व्यक्ति हमेशा उदास रहता है।
-व्यक्ति हमेशा स्वयं उलझन में एवं हारा हुआ महसूस करता है।
-अवसाद से ग्रस्त व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है।
-किसी भी कार्य में ध्यान केन्द्रित करने में परेशानी होती है।
-अवसाद का रोगी खुद को परिवार एवं भीड़ वाली जगहों से अलग रखने की कोशिश करता है। वह ज्यादातर अकेले रहना पसन्द करता है।
-खुशी के वातावरण में या खुशी देने वाली चीजों के होने पर भी वह व्यक्ति उदास ही रहता है।
-अवसाद का रोगी हमेशा चिड़चिड़ा रहता है तथा बहुत कम बोलता है।
-अवसाद के रोगी भीतर से हमेशा बेचैन प्रतीत होते हैं तथा हमेशा चिन्ता में डूबे हुए दिखाई देते हैं।
-यह कोई भी निर्णय लेने पर स्वयं को असमर्थ पाते हैं तथा हमेशा भ्रम की स्थिति में रहते हैं।
-अवसाद का रोगी अस्वस्थ भोजन की ओर ज्यादा आसक्त रहता है।
-अवसाद के रोगी कोई भी समस्या आने पर बहुत जल्दी हताश हो जाते हैं।
-कुछ अवसाद के रोगियों में बहुत अधिक गुस्सा आने की भी समस्या देखी जाती है।
-हर समय कुछ बुरा होने की आशंका से घिरे रहना।
डिप्रेशन से बचने के उपाय (Prevention Tips for Depression)
डिप्रेशन के प्रभाव से बचने के लिए जीवनशैली और आहार में कुछ बदलाव लाने की ज़रूरत होती है।
आहार-
-अवसाद के रोगी को भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए तथा ऐसे फलों और सब्जियों का अधिक सेवन करना चाहिए जिनमें पानी की मात्रा अधिक हो।
-पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करना चाहिए जिसमें शरीर के लिए जरूरी सभी विटामिन्स और खनिज हो।
-हरी पत्तेदार सब्जियाँ एवं मौसमी फलों का सेवन अधिक करें।
-चुकन्दर (Beetroot) का सेवन जरूर करें, इसमें उचित मात्रा में पोषक तत्व होते हैं जैसे विटामिन्स, फोलेट,यूराडाइन और मैग्निशियम आदि। यह हमारे मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमिटर्स की तरह काम करते हैं जो कि अवसाद के रोगी में मूड को बदलने का कार्य करते हैं।
-अपने भोजन में ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करें। इसमें उचित मात्रा में एंटी-ऑक्सिडेट्स और मोनोसैचुरेटेड फैटी एसिड्स पाये जाते हैं, यह हृदय रोग तथा अवसाद को दूर करने में मददगार साबित होते हैं।
-अवसाद के रोगी में अस्वस्थ भोजन एवं अधिक भोजन करने की प्रवृत्ति होती है। अतः अवसाद के रोगी को जितना हो सके जंक फूड और बासी भोजन से दूर रहना चाहिए । इसकी बजाय घर पर बना पोषक तत्वों से भरपूर और सात्विक भोजन करना चाहिए।
-अपने भोजन में एवं सलाद के रूप में टमाटर का सेवन करें। टमाटर में लाइकोपीन नाम का एंटी-ऑक्सिडेंट पाया जाता है जो अवसाद से लड़ने में मदद करता है। एक शोध के अनुसार जो लोग सप्ताह में 4-6 बार टमाटर खाते हैं वे सामान्य की तुलना में कम अवसाद ग्रस्त होते हैं।
-जंक फूड का सेवन पूरी तरह छोड़ दें।
-अधिक चीनी एवं अधिक नमक का सेवन।
-मांसाहार और बासी भोजन।
-धूम्रपान, मद्यसेवन या किसी भी प्रकार का नशे का सर्वथा त्याग करना चाहिए।
-कैफीनयुक्त पदार्थ जैसे चाय, कॉफी का अधिक सेवन।
जीवनशैली-
-अवसाद से ग्रस्त रोगी उचित खान-पान के साथ अच्छी जीवनशैली का भी पालन करना चाहिए जैसे व्यक्ति को अपने परिवार और दोस्तों के साथ अधिक बिताना चाहिए। अपने किसी खास दोस्त से मन की बातों को कहना चाहिए।
-अवसाद से निकलने के लिए व्यक्ति को अपनी दिनचर्या में व्यायाम, योग एवं ध्यान को अवश्य जगह देनी चाहिए। यह अवसाद के रोगी के मस्तिष्क को शान्त करते हैं तथा उनमें हार्मोनल असंतुलन को ठीक करते हैं।
-व्यक्ति को सुबह उठकर सैर पर जाना चाहिए उसके बाद योगासन और प्राणायाम करना चाहिए।
-अवसाद के रोगी को ध्यान या मेडिटेशन करना चाहिए। प्राय: अवसादग्रस्त व्यक्ति खुद को एकाग्र करने में असफल पाता है लेकिन शुरूआत में थोड़े समय के लिए ही ध्यान लगाने की कोशिश करनी चाहिए।
-यदि किसी व्यक्ति को कोई दुर्घटना या किसी खास कारण की वजह से अवसाद हुआ है तो उसे ऐसे कारणों और जगह से दूर रखना चाहिए।
-अवसाद के रोगी को प्राकृतिक एवं शान्ति प्रदान करने वाली जगहों पर जाना चाहिए साथ ही मधुर संगीत एवं सकारात्मक विचारों से युक्त किताबें पढ़नी चाहिए।
-स्वयं को सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रखना चाहिए और अकेले रहने की आदत से बचना चाहिए।
डिप्रेशन से बचने के घरेलू उपाय (Home Remedies for Depression)
अवसाद यदि अपनी प्रारम्भिक अवस्था में हो तो यह अच्छी जीवनशैली, मनोविश्लेषण और मनोचिकित्सा (Psychotherapy) द्वारा ही ठीक हो जाता है परन्तु गहन अवसाद में उपचार की आवश्यकता होती है। ऐसे में ऐलोपैथ में जो एंटी-डिप्रेसेंट दवाइयाँ दी जाती है, व्यक्ति को धीरे-धीरे इनकी आदत पड़ जाती है और वह इनका आदी हो जाता है। इनसे हृदय से जुड़ी बीमारियाँ होने का भी खतरा होता है। हमारे मस्तिष्क में सेरोटोनिन के प्रभाव से मूड बनता और बिगड़ता है तथा अवसाद से बचने के लिए ऐसी दवाइयाँ दी जाती हैं जो न्यूरोन के माध्यम से सेरोटोनिन को अवशोषित कर अवसाद के प्रभाव को रोकती है। जबकि हमारे शरीर के प्रमुख अंग जैसे हृदय, फेफड़े, गुर्दे और यकृत में सेरोटोनिन खून को संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एलोपैथिक दवाएँ इन अंगों द्वारा सेरोटोनिन के अवशोषण को रोक देती है जिस कारण इन अंगे के कार्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इन दवाईयों के सेवन से व्यक्ति को इसकी आदत पड़ जाती है और इनके बिना खुद को अपनी दैनिक जीवनचर्या करने और सोने में भी असमर्थ पाता है। अत: अवसाद के लिए घरेलू उपाय, आयुर्वेद दवाइयाँ और मनोविश्लेषण का सहारा लेना चाहिए। आयुर्वेद एक प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति है जो वात,पित्त, कफदोषों को संतुलित कर शरीर को स्वस्थ बनाती है। आयुर्वेदिक औषधियाँ व्यक्ति को शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ बनाती हैं एवं व्यक्ति को ऊर्जावान बनाती हैं। इनके सेवन से रोगी के शरीर में कोई भी विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है।
काजू के सेवन से डिप्रेशन से मिलती है राहत (Cashew Nuts Beneficial in Depression in Hindi)
4 से 6 काजू को पीसकर एक कप दूध में मिलाकर पीने से डिप्रेशन का असर कुछ हद तक कम होता है।
बेर के सेवन से डिप्रेशन से मिलती है राहत (Berry Beneficial in Depression in Hindi)
4 से 5 बेर के फल लेकर उनमें से बीज निकाल दें और इसको पीस कर इसका रस निकाल लें। अब इस रस में आधा चम्मच जायफल को पीसकर मिला लें और दिन में दो बार इसका सेवन करें।
ब्राह्मी के सेवन से डिप्रेशन से मिलती है राहत ( Brahmi Beneficial in Depression in Hindi)
एक चम्मच ब्राह्मी और एक चम्मच अश्वगंधा के पाउडर को एक गिलास पानी में मिलाकर रोज इसका सेवन करें।
नींबू के मिश्रण के सेवन से डिप्रेशन से मिलती है राहत ( Lemon Juice Beneficial in Depression in Hindi)
एक चम्मच नींबू का रस, एक चम्मच हल्दी पाउडर, एक चम्मच शहद, दो कप पानी इन सब को एक बर्तन मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें और इसे पी लें। नियमित रूप से इसके सेवन से अवसाद से निकलने में मदद मिलती है।
सेब के सेवन से डिप्रेशन से मिलती है राहत ( Apple Beneficial in Depression in Hindi)
सुबह उठकर खाली पेट सेब खाएँ। यह आपके शारीरिक स्वास्थ्य को तो बेहतर रखता ही है। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।
इलायची के सेवन से डिप्रेशन से मिलती है राहत (Cardamom Beneficial in Depression in Hindi)
दो से तीन इलायची को पीसकर एक गिलास पानी में उबालकर पी लें या फिर हर्बल चाय में इलायची डाल कर पिएँ।
डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए ? (When to Consult a Doctor?)
कई बार व्यक्ति को किसी दुर्घटना या किसी मानसिक आघात के कारण कुछ समय के लिए अवसाद हो सकता है परन्तु अच्छे खान-पान, जीवनशैली और सामाजिक सक्रियता के कारण यह लम्बे समय तक नहीं रहता पर यदि किसी में यह स्थिति दो या तीन महीने से ज्यादा रहे तो वह व्यक्ति धीरे-धीरे और भी गहरे अवसाद में चले जाता है। ऐसा होने पर वह साइको न्यूरोटिस जैसी स्थिति में भी आ सकता है जो कि व्यक्ति को आत्महत्या की ओर ले जाती है। अत: किसी व्यक्ति में यदि सामान्य से अधिक लम्बे समय तक अवसाद बना रहे, तो उसे तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क कर उचित उपचार और मनोविश्लेषण कराना चाहिए।