डेंगू के लिए आहार दिनचर्या
- प्रातः सुबह उठकर दो चम्मच पपीते के पत्तो का स्वरस +पतंजलि एलोवेरा स्वरस + तुलसी स्वरस पियें |
10-15 पत्तिया तुलसी की4-5पत्तिया गिलोय की | 200 ml पानी को मंद आंच पर उबाले, जब 50 ml रह जाए, फिर ठण्डा करके पिए, यह प्रतिदिन 2 -3 बार पिए | |
संतुलित योजना
समय | आहार योजना (शाकाहार ) |
नाश्ता (8:30 AM) | 1कप पतंजलि दिव्य पेय +1-2 पतंजलि आरोग्य बिस्कुट /कम नमक वाला पतंजलि आरोग्य दलिया /पोहा /उपमा (सूजी) /पतंजलि कॉर्नफ्लेक्स /ओट्स + 1 प्लेट फलो का सलाद / 1 गिलास फलों का ताजा जूस (संतरा, नीम्बू, आवला, अनार, चकुंदर) | |
दिन का भोजन (12:30-01:30)PM | 1-2 पतली रोटियां (पतंजलि मिश्रित अनाज आटा ) + मट्ठा /तक्र + 1 कटोरी हरी सब्जिया (उबली हुई) +1 कटोरी दाल मूंग (पतली) | |
सांयकालीन भोजन (04:0 -04:30pm) | 1 कप दिव्य पेय + 2-3 पतंजलि आरोग्य बिस्कुट / सब्जियों का सूप | |
रात्रि का भोजन (07:00-08:00)PM | 1-2 पतली रोटियां (पतंजलि मिश्रित अनाज आटा ) + 1 कटोरी दाल (पतली ) + 1 एक कटोरी हरी सब्जी (उबली हुई ) |
शयनकलीन (10:00)pm | 1 कप दूध + हरिद्राखंड /बादाम पाक (पतंजलि) | |
पथ्य आहार (जो लेना है)
अनाज: पुराना शाली चावल, गेहूं, जौ
दाले: मूंग, मसूर
फल एवं सब्जियां: सेब, पपीता, अनार, संतरा, गाजर, खीरा, लोकी, तोरी, परवल, करेला, कददू, मौसमी हरी सब्जियां
अन्य: हल्का भोजन, च्यवनप्राश
जीवनशैली…………
योग प्राणायाम एवं ध्यान: भस्त्रिका, कपालभांति, बाह्यप्राणायाम, अनुलोम विलोम, भ्रामरी, उदगीथ, उज्जायी, प्रनव जप
आसन: सूक्ष्म व्यायाम
नोट: तरलीय पदार्थो का सेवन 3-4 दिन करे, रक्त को बढ़ाने के लिये अनार जूस + काले अंगूर का जूस+ एलोवेरा जूस+ पपीते के पत्ते का रस + तुलसी पत्र मिलाकर 2-3 बार ले |
अपथ्य (जो नहीं लेना है)
अनाज: नया चावल, मैदा
दाले: कुलथ और अन्य दाल (चना, उड़द, राजमा)
फल एवं सब्जियां: बैगन, अरबी, कटहल
अन्य: तेलीय भोजन, फास्टफूड, गुरु (देर से पचने वाला)\, दूषित भोजन
जीवनशैली: आधरणीय वेगो का रोकना, अत्यधिक व्यायाम, स्नान
योग प्राणायाम एवं ध्यान– वैद्यानिर्देशानुसार
आसन– वैद्यानिर्देशानुसार
सलाह: यदि मरीज को चाय की आदत है तो इसके स्थान पर 1 कप पतंजलि दिव्य पेय ले सकते हैं |
नियमित रूप से अपनाये :-
(1) ध्यान एवं योग का अभ्यास प्रतिदिन करे (2) ताजा एवं हल्का गर्म भोजन अवश्य करे (3) भोजन धीरे धीरे शांत स्थान मे शांतिपूर्वक, सकारात्मक एवं खुश मन से करे (4) तीन से चार बार भोजन अवश्य करे (5) किसी भी समय का भोजन नहीं त्यागे एवं अत्यधिक भोजन से परहेज करे (6) हफ्ते मे एक बार उपवास करे (7) अमाशय का 1/3rd / 1/4th भाग रिक्त छोड़े (8) भोजन को अच्छी प्रकार से चबाकर एवं धीरे–धीरे खाये (9) भोजन लेने के पश्चात 3-5 मिनट टहले (10) सूर्यादय से पूर्व साथ जाग जाये [5:30 – 6:30 am] (11) प्रतिदिन दो बार दन्त धावन करे (12) प्रतिदिन जिव्हा निर्लेखन करे (13) भोजन लेने के पश्चात थोड़ा टहले एवं रात्रि मे सही समय पर नींद लें [9-10 PM]