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चिकनगुनिया के लिए अपनाएं ये डाइट प्लान (Diet Plan for Chikungunya)

चिकनगुनिया संक्रमित एडिस मच्छर के काटने से होता है। मच्छर के काटने से वायरस शरीर में प्रवेश करता है। चिकनगुनिया के मच्छर घर से ज्यादा बाहर के इलाके में काटते हैं। हालांकि, वे घर के अन्दर भी पैदा हो सकते हैं। ये मच्छर दिन के समय काटते हैं। मच्छर के काटने के 4 से 6 दिनों तक लक्षणों का पूरी तरह पता नहीं चल पाता। प्रायः यह देखा जाता है कि जब किसी व्यक्ति को चिकनगुनिया होता है तो वह चिकनगुनिया का इलाज कराने और चिकनगुनिया होने पर खान-पान को लेकर परेशान होने लगता है। इसलिए यहां चिकनगुनिया के लिए डाइट प्लान (diet plan for chikungunya)  की जानकारी दी जा रही है।

चिकनगुनिया के लिए आहार दिनचर्या को अपनाकर आप ना सिर्फ बीमारी पर नियंत्रण पा सकेंगे बल्कि चिकनगुनिया के इलाज में भी सफल हो पाएंगे।

चिकनगुनिया क्या है? (What is Chikungunya?)

चिकनगुनिया एक बीमारी है, जिसमें रोगी को बुखार और जोड़ों में दर्द होता है। चिकनगुनिया के वायरस को फैलने के लिए एक संवाहक की जरूरत होती है। एडिस प्रजाति का मच्छर संवाहक के रूप में काम करता है। लोगों के आपसी सम्पर्क से यह वायरस नहीं फैलता। जब मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है, और उसके बाद किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो उससे यह रोग दूसरे व्यक्ति को हो जाता है। ऐसे ही यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुँचता है, और उसे बीमार बना देता है। एशिया और अफ्रीका में चिकनगुनिया फैलाने वाला यह मच्छर काफी खतरनाक होता है। इसी मच्छर के कारण ही डेंगू और पीला बुखार होता है। 

चिकनगुनिया के लक्षण (Chikungunya Symptoms)

ये मुख्य लक्षण चिकनगुनिया होने के संकेत देते हैंः-

तेज बुखार

चिकनगुनिया के शुरुआती लक्षणों में से एक है तेज बुखार। चिकनगुनिया में बुखार 102 डिग्री सेल्सियस से लेकर 104 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है। बुखार हफ्तेभर या दस दिनों तक भी बना रह सकता है।

जोड़ों में तेज दर्द

जोड़ों में तेज दर्द होना, इस बीमारी का एक प्रमुख लक्षण है। जोड़ों में तेज दर्द होता है जिसकी वजह से हाथ-पैर की गतिशीलता कम हो जाती है। जोड़ों का दर्द कुछ सप्ताह तक हो सकता है, लेकिन वृद्ध रोगियों में यह दर्द और भी अधिक समय तक बना रह सकता है। कुछ लोगों में जोड़ों में सूजन भी आ जाती है। दर्द काफी दिनों तक बना रहता है। अधिकतर हाथों और पैरों को प्रभावित करता है। यह दर्द एक महीना तक भी रह जाता है।

रैशेज या चकत्ते पड़ जाना

जरूरी नहीं है कि हर किसी के शरीर पर चकत्ते या रैशेज पड़ें, लेकिन कुछ लोगों में ऐसे लक्षण भी नजर आते हैं। ये चकत्ते चेहरे पर, हथेली पर और जांघों पर नजर आते हैं। ये चकत्ते बुखार आने के बाद ही दिखाई देने लगते हैं। ये मैक्युलोपेपुलर (Maculopapular) होते हैं, जो छोटे-छोटे उभारों के साथ त्वचा के समतल लाल हिस्सों के रूप में दिखाई देते हैं। ये रोगी के धड़ और हाथ-पैरों को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं। यह रोगी की हथेलियों, पंजों और चेहरे पर भी दिखाई दे सकते हैं।

चिकनगुनिया के अन्य सामान्य लक्षण

 अगर ये लक्षण नजर आ रहे हैं तो सबसे पहले किसी अच्छे लैब से ब्लड टेस्ट कराएं, और सही जगह रिपोर्ट चेक कराएँः-

  • सिर में तेज दर्द और मांसपेशियों में जकड़न 
  • आँखों व दिल में परेशानी, आंख आना (Conjucticitis) 
  • मरीज को न्यूरोलॉजिकल समस्या भी हो सकती है।
  • जी-मिचलाना, उल्टी जैसा महसूस होना और भूख कम लगना
  • इस बीमारी में शरीर पर जगह-जगह लाल रंग के दानें उभर आते हैं।
  • यह रोग एक हफ्ते में ही मरीज इतना कमजोर हो जाता है कि खुद से कुछ करने लायक नहीं रह जाता ।
  • चिकनगुनिया में कुछ मरीज तेज रोशनी बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं।

शिशुओं और बच्चों में चिकनगुनिया के लक्षण (Chikungunya Symptoms in Childrens)

बच्चों में चिकनगुनिया के लक्षण बहुत जल्दी दिखाई नहीं देते, इसलिए ध्यान देने की जरूरत होती है। बच्चों में चिकनगुनिया के निम्न लक्षण होते हैं-

  • सिर में दर्द
  • ठण्ड लगना
  • दस्त (डायरिया)
  • अचानक तेज बुखार होना
  • मिचली और उल्टी (मस्तिष्क बुखार के लक्षणों के जैसे अन्य लक्षण)
  • जोड़ों में काफी तेज दर्द। जोड़ों में दर्द वयस्कों को अधिक होता है। बच्चों में यह इतना आम नहीं है, लेकिन यह काफी तेज हो सकता है।
  • बुखार शुरू होने के दो या तीन दिन बाद चकत्ते (रैश) होना। वयस्कों की तुलना में बच्चों को चकत्ते होने की संभावना ज्यादा होती है। चिकनगुनिया के चकत्ते बाजुओं, पीठ और कंधों पर होते हैं। कभी-कभी ये पूरे शरीर पर भी हो सकते हैं। कुछ बच्चों में ये चकत्ते त्वचा की रंगत बदलने जैसे दिखते हैं, और उनके चेहरे को प्रभावित करते हैं।
  • चिकनगुनिया से ग्रस्त शिशु काफी चिड़चिड़ा हो सकता है, और सामान्य से अधिक रोने लग सकता है। संक्रमित होने के बाद लक्षण दिखाई देने में तीन से सात दिन लग सकते हैं। ये लक्षण सामान्यत कुछ दिनों तक रहते हैं, लेकिन जोड़ों में दर्द और थकान काफी हफ्तों या महीनों तक रह सकता है।
  • वयस्कों की तुलना में चिकनगुनिया बच्चों को अधिक गम्भीर रूप से प्रभावित कर सकता है। नवजात शिशुओं और स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त बच्चों को खतरा सबसे अधिक होता है। इसमें मस्तिष्क की सूजन और गम्भीर जीवाण्विक संक्रमण होने की संभावना होती है।

चिकनगुनिया होने के कारण (Chikungunya Causes)

वायरल इन्फैक्शन, मानसून के मौसम में होने वाली कुछ बीमारियों में से एक चिकनगुनिया है। यह बीमारी मनुष्यों में, चिकनगुनिया वायरस ले जाने वाले मच्छरों के काटने के कारण होती है। ये वायरस ऐडीस इजिप्ती और एडीस एल्बोपिक्टस मच्छर द्वारा लाए जाते हैं। यह रोग मादा एडीज मच्छर के काटने से होता है। चिकनगुनिया से पीड़ित व्यक्ति लम्बे समय तक जोड़ों के दर्द से बेहाल रहता है। । 

चिकनगुनिया और डेंगू में अन्तर (Chikungunya and Dengue Differences)

चिकनगुनिया और डेंगू में निम्न अंतर होते हैंः-

  • डेंगू की तुलना में चिकनगुनिया में सूजन और दर्द अधिक होता है।
  • चिकनगुनिया के मरीज के शरीर पर खुजली हो सकती है। 
  • चिकनगुनिया की शुरुआती अवधि 1-12 दिनों की होती है, और इस अवधि का अंतराल एक से दो सप्ताह भी हो सकता है। डेंगू की शुरुआती अवधि 3-7 सप्ताह है, जबकि यह लगभग चार से सात सप्ताह तक रहता है।
  • चिकनगुनिया और डेंगू के बुखार लगभग एक जैसे ही होते हैं, लेकिन माना जाता है कि डेंगू का वायरस चिकनगुनिया के वायरस से ज्यादा खतरनाक होता है।
  • डेंगू में लगातार गिरते प्लेटलेट्स की वजह से व्यक्ति को बेहद कमजोरी महसूसू होती है, जबकि चिकनगुनिया से व्यक्ति 1 से 12 दिन तक पीड़ित रहता है। इसकी वजह से शरीर में कई सालों तक दर्द बना रहता है।
  • चिकनगुनिया के मरीज को जोड़ों में तेज दर्द होता है। यही दर्द डेंगू और चिकनगुनिया के मरीजों को लक्षणों में एक-दूसरे से अलग करता है। कुछ लोगों को इस दर्द से राहत पाने में 6 महीने से 1 साल तक का वक्त लग जाता है।
  • चिकनगुनिया में हथेलियों और पाव के साथ पूरे शरीर पर रैशेज हो जाते हैं। वहीं, डेंगू में चेहरे और त्वचा पर लाल रैशेज होते हैं।
  • चिकनगुनिया से पीड़ित व्यक्ति का पूरा शरीर दर्द से टूट रहा होता है। सबसे ज्यादा तकलीफ जोड़ों में होता है, जबकि डेंगू में दर्द अधिक होने की वजह से ब्लिडिंग और सांस लेने में भी दिक्कत आ सकती है।
  • डेंगू और चिकनगुनिया एक ही मच्छर के काटने से होता है, लेकिन इसके वायरस अलग-अलग होते हैं। चिकनगुनिया टोगाविरिडे अल्फावायरस के कारण होता है, जबकि डेंगू फ्लेविरिडे फ्लावीवायरस के कारण होता है।

चिकनगुनिया के लिए आहार योजना (Diet Plan for Chikungunya Disease)

चिकनगुनिया होने पर आपकी आहार योजना (डाइड चार्ट) ऐसी होनी चाहिएः-

सुबह का नाश्ता (8 :30 AM)

1 कप पतंजलि दिव्य पेय + पतंजलि आरोग्य दलिया /निर्गुण्डी) मिलाकर /पतंजलि ओट्स /कॉर्नफ्लेक्स + 1 प्लेट फलों का ताजा जूस (संतरा + आंवला + अनार)।

दोपहर का भोजन (12:30-01:30 PM)

1-2 पतली रोटियां (पतंजलि मिश्रित अनाज आटा) + 1/2  कटोरी चावल + 1 कटोरी हरी पत्तेदार सब्जियां + 1 कटोरी मूंग दाल (पतली ) + 1 प्लेट सलाद।

शाम का नाश्ता  (04:00 -04:30 PM)

1 कप दिव्य पेय (हर्बल टी) पतंजलि +  2-3 पतंजलि आरोग्य बिस्कुट + सब्जियों का सूप।

Diet chart for Chikungunya

रात का भोजन (7: 00 – 8:00 PM)-

1-2  पतली रोटियां (पतंजलि मिश्रित अनाज आटा ) + 1½ कटोरी हरी पत्तेदार सब्जियां + 1 कटोरी दाल।

सोते समय (10:00 PM)
1 कप दूध + हरिद्राखंड /पावरवीटा /बादाम पाक (पतंजलि)।

चिकनगुनिया के डाइट प्लान में शामिल करें ये आहार (Include These in Chikungunya Diet Plan)

  • दालें- मूंग, मसूर दाल।
  • हैल्दी डाइट के साथ भरपूर कैल्शियम लेना चाहिए।
  • अनाज- पुराना शाली चावल, गेहूं, जौ, दलिया, यवागु (पतली खिचड़ी)।
  • फलों में सेब, केला खाना अधिक बेहतर होता है। कोशिश हो कि ठण्डे फलों से बचा जा सकें।
  • तेल का कम से कम प्रयोग करते हुए हरी सब्जियों (diet plan for chikungunya) पर ज्यादा ध्यान दें।
  • पानी अधिक से अधिक मात्रा में पीना चाहिए, इससे चिकनगुनिया बुखार से उबरने में बहुत मदद मिलती है।
  • मौसमी जूस, सूप, गुनगुना पानी, दाल का पानी आदि के साथ तरल पदार्थों की मात्रा अधिकतम होनी चाहिए, जिससे कि पचने में आसानी हो।
  • फल एवं सब्जियां- सेब, पपीता, अनार, अंगूर, नारंगी, गाजर, खीरा, लौकी, तोरई, सहजन, परवल, करेला, कद्दू, मौसमी सब्जियां।
    अन्य आहार- हल्का खाना, पिप्पली, अजवायन, मेथी, गिलोय, च्यवनप्राश।

चिकनगुनिया के दौरान आपकी जीवनशैली (Your Lifestyle in Chikungunya Disease)

अपने घर और आस-पास का माहौल साफ-सुथरा रखकर रखें। इसके साथ ही आपको ये काम भी करना चाहिएः-

  • रोज जिव्हा करें।
  • रोज दो बार ब्रुश (दन्त धावन) करें।
  • भोजन लेने के बाद थोड़ा टहलें।
  • भोजन लेने के बाद 3-5 मिनट टहलें।
  • ताजा एवं हल्का गर्म भोजन अवश्य करें ।
  • हफ्ते में एक बार उपवास करें।
  • भोजन को अच्छी प्रकार से चबाकर एवं धीरे–धीरे खायें।
  • तीन से चार बार भोजन (diet plan for chikungunya) अवश्य करें।
  • किसी भी समय का भोजन नहीं त्यागें एवं अत्यधिक भोजन से परहेज करें।
  • भोजन धीरे-धीरे शांत स्थान में शांतिपूर्वक, सकारात्मक एवं खुश मन से करें।
  • अमाशय का 1/3rd / 1/4th भाग खाली (भूख से इतनी मात्रा में कम खाएं) छोड़ें।
  • सूर्यादय से पहले या सूरज के उगने के साथ जाग जायें मतलब [5:30 – 6:30 am]।
  • रात में सही समय पर नींद लें, मतलब 9-10 PM पर सो जाएं।
  • खाने-पीने के सामान और पानी से भरे बर्तनों को हमेशा ढक कर रखें।
  • बच्चे को हल्के रंग के कपड़े पहनाएँ। गहरे रंग के कपड़े मच्छरों को आकर्षित करते हैं।
  • सबसे पहली और अहम बात यह है कि चिकनगुनिया व डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं। इसलिए अपने घर के आसपास पानी जमा ना होने दें। समय-समय पर कूलर, फूलदानों व फ्रिज के पीछे लगी वॉटर ट्रै का पानी बदलते रहें। अगर आप पानी बदलने में असमर्थ हैं, तो उसमें थोड़ा-सा मिट्टी का तेल डाल दें।
  • बच्चे को पूरी बांह की कमीज व पूरी लम्बाई वाली पेंट या लोअर पहनाएँ, ताकि त्वचा ढकी रह सके। हल्के फैब्रिक का चयन करें, जिसमें शिशु आराम महसूस करे।
  • छोटे बच्चों को मच्छरों काटने का खतरा ज्यादा रहता है, क्योंकि वे दोपहर में भी सोते हैं, इसलिए मच्छर दोपहर में उन्हें आसानी से काट सकते हैं। घर में भी सभी तरह की एहतियात बरतें और जब बच्चा दिन में सो रहा हो तो विशेष ध्यान रखें।
  • दिन में सोते समय भी मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
  • मच्छरों को घर में प्रवेश करने से रोकने के लिए खिड़कियों पर जाली लगवा लें। बाहर की तरफ के सभी दरवाजों पर आप डोर ब्रश भी लगवा सकते हैं, ताकि मच्छर बाहर ही रहें।
  • उम्र के अनुसार उपयुक्त मच्छर निरोधकों का इस्तेमाल करें।
  • वातानुकूलित या ठण्डक वाले कमरे में रहे। मच्छर ठण्डक में नहीं पनपते हैं। यदि आप कूलर का इस्तेमाल करते हैं तो इसे नियमित रूप से साफ करें और पानी बदलें। इसे मच्छरों को पनपने का अवसन नहीं मिलेगा।
  • घर के आस-पास तुलसी का पौधा लगाएँ, क्योंकि तुलसी के कारण एडिस मच्छर के लार्वा नष्ट हो जाते हैं।
  • घर के अन्दर कपूर जला सकते हैं। इसकी गंध से मच्छर भाग जाते हैं।
  • नीम के तेल का दीपक जला सकते हैं। इसकी गंध से भी मच्छर घर के अन्दर नहीं आते।
  • कुछ भी खाने से पहले हाथों को अच्छे से धोना चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार के विषैले जीवाणु भोजन के साथ अन्दर ना चला जाए।
  • जब बर्फ की सिकाई की जाती है तो प्रभावित जगह पर रक्त का प्रवाह धीरे हो जाता है। इससे जोड़ों में आई सूजन और दर्द में राहत मिलती है।
  • कुछ बर्फ के टुकड़ों को तौलिये या आईस पैक में लपेटकर कुछ देर के लिए दर्द वाली जगह पर रखें। इसे दिनभर में कई आर प्रयोग किया जा सकता है।
  • दालचीनी में भी एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होता है। यह अरंडी के तेल के साथ मिलकर जोड़ों के दर्द में आराम पहुँचाता है। दो चम्मच अरंडी का तेल, चुटकी भर दालचीनी पाउडर लें। तेल को हल्का गर्म कीजिए और इसमें दालचीनी पाउडर को मिक्स कर दें। अब इस तेल से प्रभावित जोड़ों पर हल्के हाथों से थोड़ी देर मालिश करें। दिनभर में कम से कम दो-तीन बार इससे मालिश करें।

चिकनगुनिया आहार योजना अपनाने के दौरान परहेज (Avoid These in Chikungunya During Diet Plan)

चिकनगुनिया होने पर ये परहेज करना चाहिएः-

  • चाय
  • कॉफ़ी
  • फ़ास्ट फ़ूड
  • जंक फ़ूड
  • अनाज- नया चावल
  • दालें- उड़द, चना, राजमा, कुलथ।
  • फल एवं सब्जियां– बैंगन, कटहल, अरबी
  • चाय-कॉफी को तेज बुखार होने पर नजरअंदाजकरें।
  • तैलीय या भुनी हुई व देर से पचने वाले आहार
  • जलन पैदा करने वाला पदार्थ
  • दूषित भोजन
  • यदि मरीज को चाय की आदत है तो इसके स्थान पर 1 कप पतंजलि दिव्य पेय ले सकते हैं।
  • यदि आप घर के बाहर भोजन कर रहे हैं तो ध्यान रहे कि वह जगह साफ एवं स्वच्छ हो। इसके अलावा मांसाहारी भोजन ना करें, क्योंकि मांसाहारी भोजन को पचाने में परेशानी होती है। जितना सम्भव हो सके मांसाहारी भोजन का सेवन करने से बचें।
  • अधिक तेल, नमक व मसालों का प्रयोग खाने में ना (chikungunya diet plan) करें। इससे पाचन क्रिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, साथ ही दस्त की समस्या भी हो सकती है।

चिकनगुनिया आहार योजना अपनाने के दौरान योग और व्यायाम (Yoga and Exercise for Chikungunya Disease)

  • ध्यान एवं योग का अभ्यास रोज करें।
  • तेज बुखार और जोड़ों के तेज दर्द में आराम करें।
  • हल्के व्यायाम जैसे कि स्ट्रेचिंग सुबह के समय होने वाली जकड़न और दर्द को दूर करते हैं।
  • योग करने से आपके प्रतिरोधक तंत्र में लाभ होता है, और जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। यह आवश्यक है कि आसान और कम जोर डालने वाले व्यायाम किये जाएँ।  शवासन और योग श्वसन कर सकते हैं।
  • भस्त्रिका, कपालभांति, बाह्यप्राणयाम, अनुलोम विलोम, भ्रामरी, उदगीथ, उज्जायी, प्रनव जप कर सकते हैं।
  • चिकनगुनिया के लिए आसन में आप सूक्ष्म व्यायाम, बज्रासन, भुजंगासन, उत्तानपादासन, शवासन कर सकते हैं।

चिकनगुनिया से जुड़े सवाल-जवाब (FAQ Related Chikungunya Disease)

आयुर्वेद के अनुसार, चिकनगुनिया किस दोष के कारण होता है, और उसे कैसी डाइट लेनी चाहिए?

आयुर्वेद त्रिदोष वात,पित्त, कफ पर आधारित है। इस रोग में वात, पित्त की अधिकता रहती है।

  • अगर रोगी वातज प्रकृति का हो तो उसे वातशामक औषधियों का इस्तेमाल करना चाहिए जैसे- शरीर में तेल आदि की मालिश लगाना चाहिए।
  • पित्त प्रकृति के रोगी में पित्तशामक चिकित्सा का उपयोग करना चाहिए जैसे- नारियल पानी का सेवन आदि।
  • कफ प्रकृति के रोगी में कफशामक उपचार का प्रावधान है जैसे- लहसुन का सेवन (diet plan for chikungunya) करना चाहिए।

डेंगू या चिकनगुनिया होने पर डॉक्टर से कब सम्पर्क करना चाहिए?

डेंगू और चिकनगुनिया के लक्षणों के दिखने पर तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए। अगर मरीज की स्थिति ज्यादा गम्भीर है तो उसे अस्पताल में भर्ती करना चाहिए। दोनों ही रोगों में शरीर को तरल पदार्थों की ज्यादा जरूरत होती है, इसलिए तरल पदार्थों का लगातार सेवन करना चाहिए। बुखार के साथ दर्द और ठण्ड महसूस होने पर तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करें।