हाइपोथॉयराडिज्म मनुष्य में होने वाले रोग की वह अवस्था है जो थायरायड ग्रन्थि से थायरायड हॉर्मोन के अपर्याप्त उत्पादन के कारण होता है। यह आयोडीन की कमी से या प्रसव के पश्चात् थॉयराडिज्म के परिणामस्वरूप भी हो सकता है। यह ऐसी स्थिति है जो लगभग महिलाओं को बच्चे के जन्म देने के बाद एक वर्ष के अन्दर प्रभावित करती है। कभी-कभी यह आनुवांशिक भी होता है। यह धीरे-धीरे फैलने वाली बीमारियों में से एक है।
हाइपोथॉयराडिज्म क्या होता है? (What is Hypothyroidism in Hindi)
बड़ों की तुलना में बच्चों में थायरॉइड (thyroid in hindi)की समस्या कम ही होती है। लेकिन अगर बच्चे को थायरॉइड (thyroid)की समस्या हो जाए तो इसका असर उसके विकास पर पड़ता है। थायरॉइड ग्रन्थि हार्मोन का निर्माण करती है जो कि मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है। कम उम्र के बच्चों पर इसका खतरनाक प्रभाव पड़ता है। इसके कारण बच्चे को थकान, कमजोरी, वजन का बढ़ना, चिड़चिड़ापन और अवसाद जैसी समस्यायें हो सकती हैं।
हाशिमोटोज थायरॉयडिटिज-बच्चों और किशोरों में थायरॉइड (thyroid in hindi)की यह समस्या सबसे ज्यादा सामान्य है। बच्चों में यह बिमारी 5 वर्ष की उम्र के बाद ही होती है। बच्चों में यह समस्या के लक्षण (hypothyroidism symptoms)बहुत धीरे-धीरे दिखाई पड़ते हैं। बच्चों में ऐसी समस्या होने पर थायरॉइड ग्रन्थि (thyroid) अंडरएक्टिव हो जाती है और यह दिमागी विकास को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है।
जन्मजात हाइपोथॉयराडिज्म–बच्चों में जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण (hypothyroidism symptoms)जन्म से ही दिखाई देते हैं। जिसके कारण नवजात को जन्म लेने के तुरन्त बाद ही परेशानी हो सकती है। थायरॉइड ग्लैंण्ड का ठीक से विकास न हो पाना इसका प्रमुख कारण होता है। कुछ बच्चों में तो थायरॉइड ग्रन्थि (thyroid)भी मौजूद नहीं होती है, जिसके कारण क्रेटिनिज्म होता है इसलिए बच्चे के जन्म के एक सप्ताह के अन्दर उसके थायरॉइड फंक्शन की जाँच करानी चाहिए।
क्षणिक जन्मजात हाइपोथॉयराडिज्म–अगर मां को गर्भावस्था के दौरान थायरॉइड समस्या (thyroid)है तो शिशु को यह समस्या हो सकती है। हालांकि शिशु में क्षणिक हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म में अन्तर निकालना मुश्किल होता है। अगर परीक्षण के दौरान शिशु में इस प्रकार की थायरॉइड समस्या दिखती है तो कुछ समय तक चिकित्सा के बाद यह ठीक हो जाता है।
हाइपोथॉयराडिज्म क्यों होता है? (Hypothyroidism Causes in Hindi)
थायरॉइड ग्लैंण्ड्स (thyroid)शरीर से आयोडीन लेकर हार्मोन बनाते हैं। यह हमारे हार्मोन शरीर के मेटाबॉलिज्म को बनाए रखने के लिए जरूरी होते हैं। हाइपोथॉयराडिज्म का मतलब है कि आपकी थायरॉइड ग्रन्थि अंडरएक्टिव है। जब ग्लैंण्ड्स किसी वजह से कम हार्मोन बनाने लगते हैं, तो उसे हाइपोथॉयराडिज्म कहते हैं। आपके थायरॉइड का कार्य हार्मोन निर्मित करना है। जब यह निक्रिय हो जाता है तो शरीर की बाकी क्रियाओं पर असर पड़ने लगता है। हाइपोथॉयराडिज्म में थायरॉइड ग्रन्थि (thyroid)से थायरॉइड हार्मोन के अपर्याप्त उत्पादन के कारण होता है। यह आयोडीन की कमी से भी हो सकता है।
हाइपोथॉयराडिज्म होने के कई कारण (hypothyroidism causes)हो सकते हैं जिसके कारण थायरोक्सिन हार्मोन का लेवल शरीर में कम हो जाता है-
हाशिमोटो रोग- यह थायरॉइड ग्रन्थि (thyroid) के किसी एक भाग को अनुपयोगी बना देता है।
थायरॉडिटिस- थायरॉइड ग्रन्थि (thyroid)में सूजन आने के कारण। इसमें प्रारम्भ में अधिक थायरोक्सिन हार्मोन उत्पन्न हो जाते हैं। जिसके कारण बाद में थायरॉइड हार्मोन में कमी आती है। यह प्रॉब्लम ज्यादातर महिलाओं में गर्भावस्था के बाद देखा गया है।
-थायरॉइड का रेडियोएक्टिव इलाज (hypothyroidism treatment) करवाने के बाद भी पाया गया है कि थायरॉइड ग्रन्थि (thyroid)अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाती है।
-दिमाग में हाईपोथैलेमस और पीयूष ग्रन्थि जैसे अंग सही प्रकार से काम न करने पर भी थायरॉइड ग्रन्थि (thyroid)सही प्रकार से हार्मोन उत्पादन नहीं कर पाता।
-आयोडीन की कमी के कारण भी ज्यादातर हाइपोथॉयराडिज्म की प्रॉब्लम (hypothyroidism causes) वयस्क लोगों में देखा गया है।
हाइपोथॉयराडिज्म से बचने के उपाय (Prevention Tips for Hypothyroidism)
हाइपोथॉयराडिज्म (thyroid) के समस्या के लिए सबसे पहले जीवनशैली और आहार में बदलाव लाने की ज़रूरत होती है। यह बीमारी इतनी बड़ी नहीं है कि इस पर काबू न पाया जा सके। इसके अलावा आपको इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि ऐसी चीजे न खाएं, जिससे थायरॉइड से पैदा होने वाली परेशानियां और बढ़ जाएं। थायराइड बीमारी से बचने के लिए इन बातों का ख्याल रखना ज़रूरी होता है।
आहार-
-कैफीन वैसे तो सीधे थायरॉइड नहीं बढ़ाता, लेकिन ये उन परेशानियों को बढ़ा देता है जो थायरॉइड की वजह से पैदा होती है। जैसे, बेचैनी, नींद न आना।
-थायरॉइड ग्लैंण्ड्स हमारे शरीर से आयोडीन लेकर थायरॉइड हार्मोन को पैदा करते हैं। ऐसे में जो लोग इसके ज्यादा होने से परेशान हैं उन्हें ऐसे भोजन से परहेज करना चाहिए। जिनमें खूब आयोडीन हो। ‘सी’ फूड और आयोडीन वाले नमक से बचना चाहिए।
-शराब, बीयर आदि शरीर में एनर्जी लेवल को प्रभावित करते हैं। इससे थायरॉइड से ग्रसित लोगों को नींद की शिकायत रहती है। इसके अलावा ओस्टियोपोरोसिस का खतरा भी बढ़ जाता है।
-भारत में आमतौर पर हम इसे डाल्डा घी बोलते हैं। इस घी का इस्तेमाल खाने-पीने की दुकानों में जमकर प्रयोग होता है। इससे अच्छे कॉलेस्ट्रॉल खत्म होते हैं और बुरे कॉलेस्ट्रॉल को बढ़ावा मिलता है।
-रेड मीट में कोलेस्ट्रॉल बहुत होता है। इससे शरीर का वजन तेजी से बढ़ता है। थायरॉइड वालों का वजन तो वैसे ही तेजी से बढ़ता है। आप चिकन का सेवन कर सकते हैं।
थायरॉइड पीड़ितों को खाने-पीने में आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए। यानि ऐसे खाद्य पदार्थ जिसमें आयोडीन प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। इसका कारण ये है कि आयोडीन की मात्रा ही थायरॉइड की क्रियाशीलता को प्रभावित करती है।
-आयोडीन के लिए समुद्री जीवों या समुद्र से प्राप्त खाद्य पदार्थों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। समुद्री शैवाल और सब्जियों में प्रचूर मात्रा में आयोडीन पाया जाता है।
-कॉपर और आयरन से युक्त आहार लेना भी थायरॉइड (thyroid)में काफी लाभदायक होता है।
-कॉपर के लिए काजू, बादाम और सूरजमुखी का बीज लेना चाहिए।
-आयरन के लिए हरी और पत्तेदार सब्जियों से बेहतर विकल्प तो हो ही नहीं सकता, विशेष रूप से पालक में आयरन की भरपूर मात्रा पायी जाती है।
-थायरॉइड के मरीजों को पनीर और हरी मिर्च के साथ-साथ टमाटर का भी सेवन करना चाहिए।
-आपको अपने डायट चार्ट में विटामिन और मिनरल्स युक्त आहार को प्राथमिकता देनी चाहिए।
-थायरॉइड (thyroid)में कम वसायुक्त आईसक्रीम और दही का सेवन भी थायरॉइड के मरीजों के लिए काफी लाभदायक है।
-इसके अलावा कुछ गाय का दूध भी इसके मरीजों को पीना चाहिए।
–नारियल के तेल का प्रयोग आप खाना बनाने के दौरान भी कर सकते हैं।
जीवनशैली-
-रोजाना आधा से एक घण्टे का व्यायाम जरूर करें।
-योगा करने से भी थायरॉइड (thyroid)की समस्या से काफी हद तक छुटकारा पाया जा सकता है। योगा शरीर को हमेशा किसी न किसी रूप में फायदा ही पहुँचाता है। रोज सुबह इन योगासनों को आधे या एक घण्टे करने से आपको थायरॉइड का इलाज (thyroid ka ilaj) करने में आसानी होगी, जैसे- मत्स्यासन और हलासन।
हाइपोथॉयराडिज्म के लिए घरेलू उपाय (Home Remedies for Hypothyroidism in Hindi)
हाइपोथॉयराडिज्म (thyroid)की समस्या से निजात पाने के लिए सबसे पहले घरेलू नुस्ख़ों को ही अपनाया जाता है। यहां हम पतंजली के विशेषज्ञों द्वारा पारित कुछ ऐसे घरेलू उपायों के बारे में बात करेंगे जिनके प्रयोग से हाइपोथॉयराडिज्म की समस्या को कुछ हद तक राहत पाया जा सकता है-
मुलेठी हाइपोथॉयराडिज्म में फायदेमंद (Benefit of Mulethi for Hypothyroidism in Hindi)
मुलेठी थायरॉइड ग्लैंण्ड में संतुलन बना कर रखती है जिससे थायरॉइड के मरीजों में होने वाली थकान को एनर्जी में बदलती है। थायराइड बीमारी से बचने के लिए मुलेठी का सेवन करना फायदेमंद होता है।
अश्वगन्धा हाइपोथॉयराडिज्म में फायदेमंद (Benefit of Ashwagandha for Hypothyroidism in Hindi)
अश्वगन्धा एक ऐसी जड़ी-बूटी है जिससे मौजूद एंटी ऑक्सिडेंट गुण हार्मोन की सही मात्रा में उत्पादन कर थायरॉइड को रोकने का काम करता है। हार्मोन संतुलन के साथ यह प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार कर तनाव से मुक्ति दिलाता है। थायराइड बीमारी के इलाज (thyroid ka ilaj)में अश्वगंधा बहुत फायदेमंद होता है।
गेंहूं का ज्वार हाइपोथॉयराडिज्म में फायदेमंद (Benefit of Wheat Millet for Hypothyroidism in Hindi)
गेहूँ का ज्वारा प्रकृति की अनमोल देन है। इसमें अनेक औषधीय और रोग निवारक गुण पाए जाते हैं। गेहूँ का ज्वारा रक्त व रक्त संचार संबंधी रोगों में काम आता है। गेहूं के पास थायराइड का रामबाण इलाज है।
अलसी हाइपोथॉयराडिज्म में फायदेमंद (Benefit of Flaxseed for Hypothyroidism in Hindi)
अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह एसिड थायरॉइड ग्रन्थि के सही तरीके से काम करने में आवश्यक भूमिका निभाता है। हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों को अलसी और अलसी के तेल का प्रयोग जरूर करना चाहिए।
अदरक हाइपोथॉयराडिज्म में फायदेमंद (Benefit of Ginger for Hypothyroidism in Hindi)
अदरक जिंक, मैग्नीशियम और पोटेशियम का एक अच्छा स्रोत है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण थायरॉइड की कार्यक्षमता में सुधार लाने में मदद करते हैं। हाईपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों को अपने आहार में इसको शामिल करना चाहिए। अदरक का प्रयोग आहार में भिन्न-भिन्न प्रकार से कर सकते हैं।
इचिन्सिपा हाइपोथॉयराडिज्म में फायदेमंद (Benefit of Inchespia for Hypothyroidism in Hindi)
इचिन्सिपा एक लोकप्रिय जड़ी-बूटी है, यानि कि इचिन्सिपा का सेवन थायराइड बीमारी को दूर रखता है। इचिन्सिपा से थायराइड का रामबाण इलाज किया जाता है।
ब्लैडर रैंक हाइपोथॉयराडिज्म में फायदेमंद (Benefit of Bladder Rank for Hypothyroidism in Hindi)
ब्लैडर रैंक नामक समुद्री शैवाल में प्राकृतिक आयोडीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो थायरॉइड ग्रन्थि को संतुलित करने के लिए जाना जाता है।
ब्राह्मी हाइपोथॉयराडिज्म में फायदेमंद (Benefit of Brahmi for Hypothyroidism in Hindi)
अगर आप थायरॉइड की समस्या से ग्रस्त हैं। आप ब्राह्मी नामक जड़ी-बूटी की मदद ले सकते हैं। यह एक शक्तिशाली जड़ी-बूटी है जो थायरॉइड ग्रन्थि को संतुलित करने का काम करती है।
काला अखरोट हाइपोथॉयराडिज्म में फायदेमंद (Benefit of Black Walnut for Hypothyroidism in Hindi)
काला अखरोट को आयोडीन का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। इसके नियमित सेवन से हाइपोथॉयराडिज्म को कंट्रोल में किया जा सकता है।
लौकी का जूस हाइपोथॉयराडिज्म में फायदेमंद (Benefit of Lauki Juice for Hypothyroidism in Hindi)
इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए रोजाना सुबह खाली पेट लौकी का जूस पिएं। इसके बाद एक गिलास ताजे पानी में तुलसी की एक से दो बूंद और कुछ मात्रा में एलोवेरा जूस डालकर पिएं। इसके सेवन के बाद एक से आधे घण्टे तक कुछ भी खाने से बचें। रोजाना ऐसा करने से थायरॉइड की बीमारी जल्दी ठीक हो जायेगी।
गाजर का सेवन हाइपोथॉयराडिज्म में फायदेमंद (Benefit of Carrot for Hypothyroidism in Hindi)
थायरॉइड के मरीज को अपने भोजन में विटामिन-ए की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। गाजर और हरी पत्तेदार सब्जियों में विटामिन-ए अधिक मात्रा में पाया जाता है।
काली मिर्च हाइपोथॉयराडिज्म में फायदेमंद (Benefit of Black Pepper for Hypothyroidism in Hindi)
थायरॉइड से राहत पाने के लिए काली मिर्च का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है। काली मिर्च का सेवन करने से थायरॉइड की बीमारी ठीक हो जाती है।
हरा धनिया हाइपोथॉयराडिज्म में फायदेमंद (Benefit of Coriander for Hypothyroidism in Hindi)
थायरॉइड के मरीज के लिए हरा धनिया बहुत ही फायदेमंद होता है। इसलिए थायरॉइड को ठीक करने के लिए थॉयरायड का प्रयोग करने इसको नियंत्रण में किया जा सकता है।
नारियल पानी का सेवन हाइपोथॉयराडिज्म में फायदेमंद (Benefit of Coconut Water for Hypothyroidism in Hindi)
जैसा कि सब जानते हैं कि नारियल पानी डिहाइड्रेशन से शरीर को बचाता है, इसके साथ ही यह हाइपोथॉयराडिज्म (thyroid)को भी कंट्रोल करने में मदद करता है।
डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए ? (When to Contact a Doctor?)
हाइपोथॉयराडिज्म को साइलेन्ट कीलर भी कहा जाता है। जब व्यक्ति में सामान्य लक्षण जैसे; मोटापा, थकान, बालों का पतला होना आदि दिखाई दें तो डॉक्टर से शीघ्र अति शीघ्र सम्पर्क करना चाहिए।