त्रिफलायाः रसप्रस्थं प्रस्थं भृङ्गरसस्य च। वृषस्य च रसप्रस्थं शतावर्याश्च तत्समम्।। अजाक्षीरं गडूच्याश्च आमलक्या रसं तथा। प्रस्थं प्रस्थं समाहृत्य सर्वैरेभिर्घृतं पचेत्।। कल्कैः कणासिता द्राक्षा त्रिफला नीलमुत्पलम्। मधुकां क्षीरकाकोली मधुपर्णी निदिग्धिका।।भै.र.64/241-243, च.द.59/174-176
क्र.सं. | घटक द्रव्य | प्रयोज्यांग | अनुपात |
1 | गो घृत (Cow’s ghee) | 750 ग्रा. | |
2 | त्रिफला क्वाथ | 750 मि.ली. | |
3 | भृंगराज स्वरस (Eclipta prostrata) | 750 मि.ली. | |
4 | वासा स्वरस (Justica adhatoda) | 750 मि.ली. | |
5 | गुडूची क्वाथ (Tinospoera cordifolia (Willd) Miers ex Hook.f. & Thoms.) | काण्ड | 750 मि.ली. |
6 | शतावरी क्वाथ (Asparagus racemosus) | मूल | 750 मि.ली. |
7 | आमला क्वाथ (Embilica officinalis Linn.) | 750 मि.ली. | |
8 | बकरी दूध (Goat’s milk) | 750 मि.ली. | |
9 | पीपर (Piper longum Linn.) | फल | 17 ग्रा. |
10 | चीनी (Sugar) | 17 ग्रा. | |
11 | द्राक्षा (Vitis vinifera Linn.) | शुष्क फल | 17 ग्रा. |
12 | आमला (Embilica officinalis Linn.) | फलमज्जा | 17 ग्रा. |
13 | हरीतकी (Terminalia chebula retz.) | फलमज्जा | 17 ग्रा. |
14 | बहेड़ा (Terminalia belliris Rosc.) | फलमज्जा | 17 ग्रा. |
15 | नीलकमल (Nelumbo nucifera) | 17 ग्रा. | |
16 | मुलहठी (Glycyrrhiza Linn.) | मूल | 17 ग्रा. |
17 | क्षीरकाकोली | 17 ग्रा. |
मात्रा– 6-12 ग्रा.
अनुपान– गर्म दूध, या गर्म पानी के साथ
गुण और उपयोग– त्रिफला को नेत्रों के लिए सर्वोत्तम माना गया है। अतः यह घृत नेत्रों के लिए बहुत लाभदायक है। रतौंधी, तिमिर, आँखों में दर्द होना, आँखों से कम दिखाई पड़ना, रक्तदुष्टि, रक्तस्राव इन सब में इस घृत का प्रयोग बहुत लाभदायक है।
यदि पित्तवृद्धि के कारण आँखे लाल हो, आँखों में सूजन हो, रोशनी में आँखें खोलने में कठिनाई हो तो इस घृत को मिश्री मिलाकर सेवन और त्रिफला के जल से प्रातकाल आँखों को धोएं, इससे आँखों की समस्याएँ दूर होकर आँखों की ज्योति बढ़ती है।
जिन लोगों को नेत्र रोग की समस्या नियमित रूप से बनी रहती है उन्हें इस घृत का सेवन प्रतिदिन करना चाहिए। इससे रोग दूर होकर आँखे स्वस्थ बनी रहती है तथा शरीर की भी पुष्टि होती है।