आयुर्वेद के अनुसार वात दोष “वायु” और “आकाश’ इन दो तत्वों से मिलकर बना है। शरीर में होने वाली ऐसी कोई भी क्रिया जिसमें गति की भूमिका है वो इस वात द्वारा ही संचालित होती है। शरीर में वात का मुख्य निवास स्थान पेट और आंत बताया गया है। वात के असंतुलन से शरीर में कई तरह के रोग हो सकते हैं, इसलिए वात को संतुलित रखना बहुत ज़रूरी है। आइये जानते हैं वात को संतुलित रखने के लिए आपको अपने खानपान और दिनचर्या में क्या बदलाव लाने चाहिए।
वात के संतुलन के लिए क्या खाएं
- अनाज – जई का आटा (पका हुआ ), चावल (बासमती ) व गेहूं आदि।
- दालें – उड़द, कुलथ
- सब्जियाँ व फल- मूली शकरकंद, प्याज, कद्दू, पालक, आंवला, अंगूर, केला, खजूर, सेब, अनानास, अनार
- अन्य – मक्खन, क्रीम, घी दूध (उबला हुआ), दही, ताजा पनीर (घर का बना) , चीनी व उससे बने पदार्थ, शहद, सरसों तेल, तिल का तेल, नारियल तेल, हींग, लौंग, इलायची, दालचीनी, काली मिर्च, जीरा, लहसुन, धनियां आदि।
क्या ना खाएं
- अनाज – जौ, मकई, बाजरा
- दालें – मसूर दाल, चना
- सब्जियाँ- बैंगन, ब्रोकॉली, पत्तागोभी, फूलगोभी
- अन्य- अचार, चटनी, कोल्ड ड्रिंक्स, सॉफ्ट ड्रिंक्स, डिब्बाबंद भोजन, जंक फ़ूड
- सख्त मना – मीट, मांस, अण्डा आदि
वात को संतुलित रखने के लिए डाइट प्लान
सुबह उठकर बिना ब्रश किये ही खाली पेट 1-2 गिलास गुनगुना पानी पिएं और नाश्ते से पहले पतंजलि आवंला व एलोवेरा स्वरस पियें।
डाइट चार्ट
समय | आहार योजना ( शाकाहार ) |
नाश्ता (08:30-09:00 AM) | पतंजलि दिव्य पेय + पतंजलि आरोग्य दलिया (नमकीन) / पोहा /उपमा (सूजी) /पतंजलि कॉर्नफ्लैक्स + फलो का सलाद ½ चम्मच पंचकोल चूर्ण के साथ / 1 गिलास फलों का जूस |
दिन का भोजन (12:30-01:30 PM | 1-2 पतली रोटियां (पतंजलि मिश्रित अनाज आटा ) + 1 कटोरी सब्जी + 1 कटोरी दाल + 1 प्लेट सलाद + 1 कटोरी छांछ /मठ्ठा ½ चम्मच पंचकोल चूर्ण के साथ |
शाम का स्नैक (03:30-04:00 PM) | 1 कप दिव्य पेय (पतंजलि) + 2-3 आरोग्य बिस्कुट (पतंजलि) / सब्जियों का सूप ½ चम्मच पंचकोल चूर्ण के साथ |
रात्रि का भोजन ( 08:00-08:30PM) | 1-2 पतली रोटियां (पतंजलि मिश्रित अनाज आटा ) + 1 कटोरी दाल + 1 कटोरी हरी सब्जी + 2 पीस पनीर |
सोने से पहले (10:00 pm) | 1 गिलास दूध बादाम पाक /त्रिकटु चूर्ण के साथ |
वात के संतुलन के लिए अपनाएं ये जीवनशैली
- एक निश्चित दिनचर्या बनाएं और उसका गंभीरता से पालन करें।
- रोजाना कुछ देर धूप में टहलें और आराम करें।
- किसी शांत जगह पर जाकर रोजाना कुछ देर ध्यान करें।
- गर्म पानी से और वात को कम करने वाली औषधियों के काढ़े से नहायें। औषधियों से तैयार काढ़े को टब में डालें और उसमें कुछ देर तक बैठे रहें।
- गुनगुने तेल से नियमित मसाज करें, मसाज के लिए तिल का तेल, बादाम का तेल और जैतून के तेल का इस्तेमाल करें।
ध्यान रखने वाली बातें
- रोजाना ध्यान एवं योग करें।
- ताजा एवं हल्का गर्म भोजन करें।
- भोजन धीरे धीरे शांत स्थान मे शांतिपूर्वक, सकारात्मक एवं खुश मन से करें।
- तीन से चार बार खाना खाएं।
- किसी भी समय का भोजन छोड़ें नहीं और अत्यधिक भोजन से परहेज करें।
- हफ्ते मे एक बार व्रत रखें।
- अमाशय का एक तिहाई या एक चौथाई भाग खाली छोड़े अर्थात भूख से थोड़ा कम भोजन करें।
- भोजन को अच्छी प्रकार से चबाकर एवं धीरे-धीरे खाएं।
- भोजन करने के बाद 3-5 मिनट टहलें।
- सूर्यादय से पहलें उठें (5:30 – 6:30 am)
- प्रतिदिन दो बार ब्रश करें और नियमित रूप से जीभ की सफाई करेंI
- भोजन लेने के बाद थोड़ा टहलें और रात में सही समय पर नींद लें (9- 10 PM)
योग और आसन से करें वात को संतुलित
वात को संतुलित करने के लिए नियमित रूप से योगासन करें। योगासनों से जुड़ी अधिक जानकारी किसी प्रशिक्षित वैद्य से ही लें।